मूल्य वर्धित प्रलाणी का वार्षिक रिटर्न ३१.१०.२००८ तक जाना था, पर व्यापारी क्या करे जब रिटर्न का फारम नम्बर २६ ही उपलब्ध नही है ? आज ३.११.२००८ हो गई है, और उत्तर प्रदेश का व्यापारी वा कर सलाहाकार अत्यन्त उलझन में है ? क्या होगा ? क्या होना चाहिए ? क्या नेता वा बाबू जागेंगे ? या व्यापारी और कर सलाहकार ऐसे ही परेशान होते रहेंगे ?
"कीर्ति बाजपेयी, कर सलाहकार - अधिवक्ता "
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