Friday, April 24, 2009

NASDIYA SUKTA

nāsadīya sūkta

This is the famous nāsadīya sūkta the 129th suukta of the 10th mandala of the Rigveda.

Then even nothingness was not, nor existence,
There was no air then, nor the heavens beyond it.
What covered it? Where was it? In whose keeping
Was there then cosmic water, in depths unfathomed?

Then there was neither death nor immortality
nor was there then the torch of night and day.
The One breathed windlessly and self-sustaining.
There was that One then, and there was no other.

At first there was only darkness wrapped in darkness.
All this was only unillumined water.
That One which came to be, enclosed in nothing,
arose at last, born of the power of heat.


In the beginning desire descended on it -
that was the primal seed, born of the mind.
The sages who have searched their hearts with wisdom
know that which is is kin to that which is not.


And they have stretched their cord across the void,
and know what was above, and what below.
Seminal powers made fertile mighty forces.
Below was strength, and over it was impulse.


But, after all, who knows, and who can say
Whence it all came, and how creation happened?
the gods themselves are later than creation,
so who knows truly whence it has arisen?


Whence all creation had its origin,
he, whether he fashioned it or whether he did not,
he, who surveys it all from highest heaven,
he knows - or maybe even he does not know.



Monday, April 20, 2009

Courtsey Moneycontrol.com

Posted by: manugnr on ( 20-Apr-09 22:45 ) on Moneycontrol.com
सासन की परियोजना के लिए आईआईएफसीएल देगी 2,500 करोड़ रुपये
रिलायंस पावर ने मध्य प्रदेश के सासन की 4,000 मेगावाट की ऊर्जा परियोजना के लिए वित्तीय जरूरतों को पूरा कर ही लिया।

इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फायनांस कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) इस परियोजना के लिए रिलायंस पावर को 2,500 करोड़ रुपये उधार देने को तैयार हो गई है।

अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (एडीएजी) की सासन पावर परियोजना के लिए अनुमानित लागत 15,000 करोड़ में 2,500 करोड़ रुपये कम पड़ रहे थे। कंपनी इस बाबत इसी हफ्ते घोषणा करने वाली है। आईआईएफसीएल जहां 400 करोड़ रुपये कर्ज देगी वहीं इसकी विदेशी सहयोगी आईआईएफसीएल पीएलसी 2,100 करोड़ रुपये का इंतजाम करेगी।

12 घरेलू बैंकों के समूह ने पहले ही 12,500 करोड़ रुपये कर्ज देने का वादा कंपनी से कर रखा है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 3,500 करोड़ रुपये और पावर फायनांस कॉरपोरेशन 1,800 करोड़ रुपये कर्ज देगी। कर्ज देने वालों में रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन और हुडको भी शामिल है।

रिलायंस पावर के एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के काफी करीब है। आईआईएफसी पीएलसी देश के विदेशी मुद्रा भंडार को भारतीय परियोजनाओं के फंडिंग के लिए आकर्षित कर रही है। उम्मीद की जा रही है कि ये मदद औजारों के खरीददारी के रूप में होगी।

बैंकिंग क्षेत्र के सूत्रों ने बताया कि कागजात तैयार करने का काम मंगलवार तक पूरा हो जाएगा और इसके बाद जल्दी ही औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी। सासनदेश की सबसे बड़ी कोयला आधारित बिजली परियोजना बन जाएगी। यहां से पश्चिम और उत्तर भारत के 7 राज्यों में बिजली की आपूर्ति की जाएगी।

इस परियोजना की अनुमानित लागत 20,000 करोड़ रुपये है। इसकी फंडिंग 75:25 के डेब्ट इक्विटी अनुपात में की जाएगी। पहले कंपनी ने विदेश से पैसा जुटाने की कोशिश की थी। जब स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने ये कह दिया था कि अभी उसे प्रस्ताव के अध्ययन के लिए और वक्त चाहिए। इसके बाद कंपनी ने रुपये में कर्ज लेने के लिए भारत में संभावनाओं की तलाश शुरू की।

हालांकि, रुपये में लिया गया कर्ज भी तब ही कंपनी वापस कर पाएगी जब उसे किसी विदेशी बैंक से डॉलर में कर्ज मिलेगा। रिलायंस पावर ने परियोजना पर पहले ही काम शुरू कर दिया था। कंपनी की मंशा ये रही कि कर्ज में देरी से परियोजना पूरा होने में देरी न हो।

The MMB Boarder was looking for a Translator, Can anyone HELP ?

क्या चुनाव बाद राजनितक दलों का समझौता उचित है ?

SHUD POST - ELECTIONS ALLIANCES NOT BE BANNED ?

Why most regional and National Parties have not formed PRE-ELECTION alliances, Why ?

Does such a Situation Does not PROMOTE Horse Trading Post Elections ?

Should the Election Commission Not ACT in the matter ?


क्या इलेक्शन के बाद की Alliances वर्जित नही होनी चाहिए ?


क्या कारण है की ज्यादातर छेत्रिये दल व राष्ट्रीय दल, चुनाव पूर्ण गठबंधन नही कर रहे हैं ?


क्या यह परिस्थिति चुनाव के बाद, भारतीय राजनीति में नोटों के खेल को encorage नही कर रहे हैं ?


क्या चनाव आयोग को इस दिशा में कोई ठोस कदम नही उठाना चाहिए ?

Sunday, April 19, 2009

क्या कारन है की हम आम आदमी की रोज़ी रोटी छिनने पुर उतरून हैं ?

क्या कोक और पेप्सी की जगह हम नींबू पानी, गन्ने का रस, लस्सी इत्यादि पॅकेज नही कर सकते ?

क्यों भारत सरकार आम आदमी की रोज़ी रोटी छिनने पुर उतरून हैं ?

क्यों उनके ठेले पलटाये जाते हैं ?

क्यों सड़क के किनारे लोगो को उजारा जाता है ? और फिर भी सड़क २ साल तक नही बनती ?

जब उन्होने ठेले या गुमटी बैठाई थी तब सरकारी कर्मचारी क्या कर रहे थे ?

अगर आज उन ठेले या गुमटी को उजाडा जा रहा है , तो वह अकेले क्यों ही दंण्ड झेल रहे है ? क्यो सरकारी आदमी को छोड़ दिया जाता है ?

क्या यह सब न्याय है ?

नेता अपने शपथपत्र में कहते हैं की उनके पास कार नही है , क्या यह विश्वसनीय है ?

क्या ग़लत शपथपत्र देना दंडनीय अपराध नही है ?

तो भारत की अपराध नियंतन Agencies क्या कर रही हैं ?

हर भारतीय को वोट देना चाहिए ?
क्या वोह वोट दे सकता है, जब उसके Voter Id पर नाम तो उसका है और फोटो किसी और का ?
और इसका उल्टा भी सम्भव है ....?

BJP कहती है की वोह Income Tax Limit ३ लाख कर देगी, जो १९८४ में १८०००/- थी क्यो ?

Congress ने SSI की परिभाषा २५ लाख से जो की शायद १९९२ में थी, १९९५ में ५ करोड़ कर दी क्यो ?

क्या गरीबी हटाओ का मतलब गरीब को ही मार देना है ?

नही, यह सब अच्छी तरह से समझतें हैं, और हमको और आपको बेवकूफ बना के, केवल अपनी फायदे के
लिए, भारत में रुपये की जगह DOllor चलाना चाहते हैं , वोह भी केवल अपने फायदे के लिए ?

अगर यह सच नही है, तो HM scam हुआ ?

उस समय कौन जिम्मेदार नेता था, जो अर्थशास्त्रीय भी था, बाबु भी था, तो उस समय उसने क्यो कहा की वोह शेयर बाज़ार के घटने और बढ़ने पर अपनी नींद नही खराब कर सकता ?

और आज फ़िर व्ही हो रहा है जब वोह शिखर पर है, तो इसका क्या मतलब ? क्या सब संयोग है ?
मैं नही मानता !

BJP ने क्या किया, आम मुसलमान को, जो भारत की main stream mein आ रहा था, उसको अलग कर दिया ?

जैसे की Congress ने हिन्दुओ व् सीखो में कर दिया ,( १९८४ में), जबकि सिख हिन्दुओ की सेना थी ?

मुझे लगता है, की जो आज बड़े देश, ECONOMIC RECESSION में है, उन्होने ने गरीब देशो को प्रयोगशाला बना लिया है , क्या आप भी सहमत हैं ?

उनके नोट छापने पर कोई सरकार नही बोल सकती, और हमे अपने देश में, उपने ही लोगो की मदाद कैने के लिए FISCAL PRUDENCE समझाया जाता है ?

मैं थक गया हूँफ़िर भी लगा रहूँगा

जय हिंद !!!!!!!