Monday, October 27, 2008

FIIS and DIIs

Why is it that we Indians Get fooled so easily, more so by our leaders/beurocrats/and Foreigners? Any Amswers, I'll welcome them!!!!

Saturday, October 11, 2008

उत्तर प्रदेश और मूल्य वर्धित प्रलीन वा प्रवेश कर

उत्तर प्रदेश सरकार ने वेट व प्रवेश कर में संशोधन किया है, जो की अनौचित्य हैं और व्यापार का पलायन होगा और आम जनता, जो की पहले से ही मुद्रा स्फीति से परेशान हैं और परेशान होगी? और क्या सरकार को आम आदमी का ख्याल नही करना चाहिए? क्या केवल स्मारक और पार्क बनाने से उसका भला होता है? क्या शाहजहाँ ने ताजमहल बनाकर उपने वंश को ख़तम करने की शुरुआत नही कर दी थी।? और क्या अम्रीका का वाही हाल नही हुआ ? उत्तर प्रदेश का व्यापारी पहले से ही बिजली से, सडको से , रोज बदलते हुयें कानूनों से जो बहुत तेजी से बदल रहे हैं , व उसकी अन्य भी बहुत परेशानियाँ हैं, जिससे वह पहले से ही परेशान है।

Friday, October 10, 2008

शेयर बाज़ार

आज भी बाज़ार लगभग ८०० अंक गिरा । आगे क्या होगा, कहना सम्भव भी है और असंभव भी। हम १९३० के समान भयंकर समय में हैं। विश्व घनघोर मद्दी के दौर में है। जैसा की १९३० में हुआ था । मेरा पहले आंकलन ९००० के करीब था। लेकिन अब बाज़ार मुझे उससे भी खराब दिख रहा है। आप क्या सोचते है । आप के विचारों का मैं इंतज़ार करूँगा ।

Tuesday, October 7, 2008

हम कहाँ जा रहे हैं ?

हम विशवास करते हैं कि हम भारतीये नागरिकों को नुक्सान नही होने देंगे । दुनिया के चंद बारे लोग भारत के लोगो को वित्तायी रूप से छति पहुंचाना चाहते हैं, और हमारा दुर्भाग्य है कि हमारी सरकार, राज नेता सोयें हैं । हम क्या करे ? आज जो हो रहा है वोह पहले से दिख रहा था लेकिन व्यवहारिक ज्ञान की कमी के कारन हम समझ नही पाये ? और क्या भारत के बहुत इमानदार समझें जाने वाले नेता क्या अपनी ही जनता को लुटते नही रहे ? और यह दुनिया के नेताओं वा बाबुओं के साथ भी सच नही है? निम्न को संचें व विचार करें :
१- जब अगस्त २००७ में एउरोप और अम्रीका ने अपने खजाने खोल दिए थे, तब हमारा बी एस सी बढ़ रहा था, और १४०००-१५००० से बढ़कर २१०००-२२००० हो गया था, तब हमारी सरकार क्या सो रही थी ?
२- जब आम नागरिक ने पेप्सी और कोक का विरोध किया, तब सरकार ने कहा कि अगर हम उनको रोकेंगे तो विदेशी निवेश को ग़लत संकेत देंगे और रोकने से पीछे हट गयी । क्या तब भी सरकार जगी जब उनमे से एक ने भारतीये कंपनियों को बाज़ार से बहार करने के लिए उनकी बोतले तोध्ना चल्लो कर दिया? और क्या तब भी सरकार सो रही थी जब एक दूसरी कंपनी ने कुछ बहर्तिया कम्पनियों को 'ब्लाक्क्मैल" कर के खरीद लिया ?

३- क्या यह सत्य नही है कि हम एटॉमिक डील पुर अपनी पीठ ठोकना चाहते हैं, और हमारे पास इतनी साधन भी नही हैं कि एक शहरी बच्चे को इम्तहान कि तयारी के लिए मोमबत्ती का सहारा नही लेना परता? एक नौकरी पेशा आदमी को बैंक से पैसा निकालने के लिए में अब्सेंट या हलफ डे नही झेलना परता , क्योंकि , बैंक का सर्वर डाउन होता है या बिजली नही होती ? क्या बिजली कि कमी होते हुवे वह ऐ टी एम् का प्रयोग कर सकता है ? यह तो हुई शहर कि बात, गाओं का क्या हाल है ?

४- हम, विदेशी से इतना प्रभावित हैं कि हम स्वदेश , उसके नियम, उसके संस्कारों नही भूल गए ?

५- मुझे बहुत कुछ कहना है, लेकिन समय मिलने पर, लेकिन मैं आपके भी विचारू को आमंत्रित करता हूँ, ताकि सार्थक मंथन हो सके और कोई हल निकल सके !!!!!

जय हिंद !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!