Tuesday, October 7, 2008

हम कहाँ जा रहे हैं ?

हम विशवास करते हैं कि हम भारतीये नागरिकों को नुक्सान नही होने देंगे । दुनिया के चंद बारे लोग भारत के लोगो को वित्तायी रूप से छति पहुंचाना चाहते हैं, और हमारा दुर्भाग्य है कि हमारी सरकार, राज नेता सोयें हैं । हम क्या करे ? आज जो हो रहा है वोह पहले से दिख रहा था लेकिन व्यवहारिक ज्ञान की कमी के कारन हम समझ नही पाये ? और क्या भारत के बहुत इमानदार समझें जाने वाले नेता क्या अपनी ही जनता को लुटते नही रहे ? और यह दुनिया के नेताओं वा बाबुओं के साथ भी सच नही है? निम्न को संचें व विचार करें :
१- जब अगस्त २००७ में एउरोप और अम्रीका ने अपने खजाने खोल दिए थे, तब हमारा बी एस सी बढ़ रहा था, और १४०००-१५००० से बढ़कर २१०००-२२००० हो गया था, तब हमारी सरकार क्या सो रही थी ?
२- जब आम नागरिक ने पेप्सी और कोक का विरोध किया, तब सरकार ने कहा कि अगर हम उनको रोकेंगे तो विदेशी निवेश को ग़लत संकेत देंगे और रोकने से पीछे हट गयी । क्या तब भी सरकार जगी जब उनमे से एक ने भारतीये कंपनियों को बाज़ार से बहार करने के लिए उनकी बोतले तोध्ना चल्लो कर दिया? और क्या तब भी सरकार सो रही थी जब एक दूसरी कंपनी ने कुछ बहर्तिया कम्पनियों को 'ब्लाक्क्मैल" कर के खरीद लिया ?

३- क्या यह सत्य नही है कि हम एटॉमिक डील पुर अपनी पीठ ठोकना चाहते हैं, और हमारे पास इतनी साधन भी नही हैं कि एक शहरी बच्चे को इम्तहान कि तयारी के लिए मोमबत्ती का सहारा नही लेना परता? एक नौकरी पेशा आदमी को बैंक से पैसा निकालने के लिए में अब्सेंट या हलफ डे नही झेलना परता , क्योंकि , बैंक का सर्वर डाउन होता है या बिजली नही होती ? क्या बिजली कि कमी होते हुवे वह ऐ टी एम् का प्रयोग कर सकता है ? यह तो हुई शहर कि बात, गाओं का क्या हाल है ?

४- हम, विदेशी से इतना प्रभावित हैं कि हम स्वदेश , उसके नियम, उसके संस्कारों नही भूल गए ?

५- मुझे बहुत कुछ कहना है, लेकिन समय मिलने पर, लेकिन मैं आपके भी विचारू को आमंत्रित करता हूँ, ताकि सार्थक मंथन हो सके और कोई हल निकल सके !!!!!

जय हिंद !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

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